बहुत से लोग इसे सामान्य मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि कुछ लोग घबरा जाते हैं कि कहीं यह दिल की बीमारी का संकेत तो नहीं। वास्तव में, यह दोनों ही स्थितियों में सही हो सकता है। कई बार यह एक साधारण कारण से होता है, तो कई बार यह गंभीर समस्या की तरफ भी इशारा कर सकता है।
दिल की धड़कन कैसे काम करती है?
दिल एक Muscular Organ है जो चार चैम्बर्स (2 Auricles और 2 Ventricles) से बना है। इसकी धड़कन Electrical Signals की वजह से नियंत्रित होती है।
- सामान्यतः दिल 60–100 बार प्रति मिनट धड़कता है।
- व्यायाम, भावनात्मक उत्तेजना या किसी विशेष स्थिति में यह दर बढ़कर 120–160 प्रति मिनट तक जा सकती है।
- जब यह दर असामान्य रूप से तेज़, धीमी या अनियमित हो जाती है, तो हमें अपनी धड़कन अधिक महसूस होने लगती है।
दिल की धड़कन सुनाई देने के सामान्य कारण
1. शारीरिक परिश्रम (Physical Activity)
भागने, दौड़ने, सीढ़ियाँ चढ़ने या भारी काम करने के बाद शरीर को अधिक ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है। इसे पूरा करने के लिए दिल तेजी से पंप करता है, जिससे धड़कन हमें साफ महसूस होती है।
2. भावनात्मक स्थिति (Emotional State)
गुस्सा, डर, चिंता, तनाव या उत्साह में हार्मोन (जैसे Adrenaline) का स्तर बढ़ता है। इससे दिल की गति तेज़ हो जाती है और हमें धड़कन सुनाई देने लगती है।
3. कैफ़ीन और एनर्जी ड्रिंक
चाय, कॉफ़ी, कोल्ड ड्रिंक या एनर्जी ड्रिंक में मौजूद कैफ़ीन दिल की धड़कन को तेज़ कर देता है।
4. रात का शांत माहौल
जब हम लेटे होते हैं और चारों ओर शांति होती है, तो कान और सिर में खून का प्रवाह हमें अपनी धड़कन की आवाज़ जैसा महसूस कराता है।
5. डिहाइड्रेशन (पानी की कमी)
शरीर में पानी की कमी होने पर खून गाढ़ा हो जाता है और दिल को पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
6. भोजन और पाचन संबंधी कारण
बहुत भारी या मसालेदार भोजन खाने के बाद भी धड़कन तेज़ हो सकती है।
स्वास्थ्य संबंधी संभावित कारण
1. एनीमिया (Anemia)
खून में हीमोग्लोबिन की कमी होने से शरीर तक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुँच पाता, जिससे दिल को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
2. थायरॉयड (Hyperthyroidism)
यदि थायरॉयड हार्मोन की मात्रा बढ़ जाए तो शरीर का मेटाबॉलिज़्म तेज़ हो जाता है और दिल तेज़ धड़कने लगता है।
3. ब्लड प्रेशर में गड़बड़ी
- हाई BP में दिल को ज़्यादा पंप करना पड़ता है।
- लो BP में शरीर को ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए धड़कन तेज़ हो सकती है।
4. Arrhythmia (धड़कन का अनियमित होना)
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल की धड़कन कभी तेज़, कभी धीमी और कभी अनियमित हो जाती है।
5. दिल की अन्य बीमारियाँ
हार्ट वॉल्व प्रॉब्लम, हृदय की मांसपेशियों में कमजोरी या कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ भी धड़कन महसूस होने का कारण हो सकते हैं।
6. मानसिक स्वास्थ्य (Anxiety & Stress)
लगातार चिंता और तनाव भी दिल की धड़कन को प्रभावित करते हैं।
किन लक्षणों में चिंता करनी चाहिए?
- आराम की स्थिति (Rest) में भी तेज़ या अनियमित धड़कन।
- धड़कन के साथ चक्कर, कमजोरी, सांस फूलना या सीने में दर्द।
- अचानक धड़कन का रुकना और तेज़ होना।
- धड़कन का बार-बार होना और लंबे समय तक बने रहना।
इन स्थितियों में तुरंत डॉक्टर से जाँच करवाना आवश्यक है।
दिल की धड़कन सामान्य रखने के घरेलू उपाय
क्या करें (Do’s)
- रोज़ाना गहरी साँस, योग और ध्यान करें।
- पर्याप्त पानी पिएँ।
- संतुलित आहार लें – हरी सब्ज़ियाँ, फल, सूखे मेवे।
- नियमित हल्की एक्सरसाइज़ या टहलना।
- 6–8 घंटे की नींद ज़रूरी।
- तनाव कम करें और खुश रहें।
क्या न करें (Don’ts)
- ज़्यादा चाय, कॉफ़ी और एनर्जी ड्रिंक से बचें।
- धूम्रपान और शराब न करें।
- मसालेदार और तैलीय भोजन कम करें।
- देर रात तक जागने की आदत न डालें।
- बहुत भारी व्यायाम अचानक न करें।
आधुनिक चिकित्सा और जाँच
अगर धड़कन की समस्या बार-बार हो रही है, तो डॉक्टर कुछ टेस्ट सुझा सकते हैं:
- ECG (Electrocardiogram) – दिल की धड़कन की लय (Rhythm) जाँचने के लिए।
- Echocardiography – दिल की संरचना और कार्य का पता लगाने के लिए।
- Blood Test – एनीमिया, थायरॉयड या इलेक्ट्रोलाइट्स की जाँच के लिए।
- Holter Monitoring – 24 घंटे तक धड़कन रिकॉर्ड करने के लिए।
जरूरत पड़ने पर दवाइयाँ, लाइफस्टाइल बदलाव या सर्जरी भी की जा सकती है।
कभी-कभी दिल की धड़कन सुनाई देना सामान्य है और अक्सर यह परिश्रम, तनाव या कैफ़ीन की वजह से होता है। लेकिन अगर यह समस्या बार-बार और बिना कारण होती है, या इसके साथ अन्य लक्षण (जैसे चक्कर, सांस फूलना, सीने में दर्द) जुड़े हों, तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
संतुलित जीवनशैली, सही खानपान, तनावमुक्त रहना और नियमित स्वास्थ्य जाँच करना ही दिल को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा उपाय है।
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