तेल और घी का सही उपयोग: (Right Use of Oil and Ghee: Myths vs Facts)


भारतीय भोजन संस्कृति में तेल और घी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। चाहे दाल का तड़का हो, पराठे का स्वाद हो या मिठाई का जायका – बिना तेल और घी के कल्पना अधूरी है।

लेकिन बदलती जीवनशैली और बढ़ती बीमारियों (मोटापा, डायबिटीज़, हार्ट डिज़ीज़) के कारण आज लोग सवाल करने लगे हैं –

  • कितना तेल/घी खाना चाहिए?
  • कौन सा तेल सबसे अच्छा है?
  • क्या घी मोटापा और दिल की बीमारियों का कारण है?

इस आर्टिकल में हम इन सभी सवालों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जवाब जानेंगे और देखेंगे कि तेल और घी का सही उपयोग कैसे किया जाए।

1. तेल और घी की मात्रा (Quantity of Oil and Ghee)

  • एक स्वस्थ वयस्क को प्रतिदिन लगभग 20–25 ग्राम वसा (fat) की ज़रूरत होती है।
  • यह मात्रा लगभग 4–5 चम्मच तेल/घी के बराबर होती है।
  • घी की सुरक्षित मात्रा: 1–2 चम्मच प्रतिदिन।

 अगर आप शारीरिक रूप से कम एक्टिव हैं, तो वसा का सेवन और कम होना चाहिए।

2. तेल का चयन और बदलाव (Choosing and Rotating Oils)

  • हर तेल की अपनी खासियत होती है।
  • एक ही तेल लंबे समय तक लगातार इस्तेमाल करने से शरीर को सभी प्रकार के फैटी एसिड नहीं मिल पाते।
  • इसलिए अलग-अलग तेलों को बदल-बदलकर प्रयोग करें।

उदाहरण:

  • सरसों का तेल
  • मूंगफली का तेल
  • तिल का तेल
  • सूरजमुखी का तेल
  • ऑलिव ऑयल

3. तेल को बार-बार गर्म करने का नुकसान (Reheating Oil is Harmful)

  • जब तेल को बार-बार गरम किया जाता है, तो उसमें Trans Fat और Toxins बन जाते हैं।
  • यह फैट शरीर के लिए सबसे हानिकारक माने जाते हैं, क्योंकि ये
  • कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं
  • दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं
  • कैंसर तक का कारण बन सकते हैं

इसलिए कोशिश करें कि बचा हुआ तेल दोबारा उपयोग न करें।

4. डीप फ्राई से बचें (Avoid Deep Frying)

  • डीप फ्राई करने से भोजन में बहुत अधिक कैलोरी आ जाती है।
  • इसमें तेल का अवशोषण इतना अधिक होता है कि छोटी सी डिश (जैसे पकोड़ा, समोसा) भी शरीर में ज़्यादा वसा पहुँचा देती है।
  • डीप फ्राई से तेल का स्ट्रक्चर भी बदल जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

5. घी – हानिकारक या लाभकारी? (Ghee – Harmful or Beneficial?)

Myth: घी हमेशा मोटापा और दिल की बीमारी का कारण बनता है।

Fact: संतुलित मात्रा में घी शरीर के लिए लाभकारी हो सकता है।

  • घी में वसा-घुलनशील विटामिन (A, D, E, K) पाए जाते हैं।
  • यह पाचन तंत्र को मज़बूत बनाता है।
  • देसी घी शरीर को ऊर्जा देता है और दिमाग के लिए भी फायदेमंद है।
  • आयुर्वेद में घी को "ओज" बढ़ाने वाला माना गया है।

लेकिन ज़्यादा मात्रा में खाने से यह मोटापा और कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकता है।

6. अलग-अलग तेलों के फायदे (Benefits of Different Oils)

ऑलिव ऑयल (Olive Oil)

  • इसमें Monounsaturated fatty acids होते हैं जो दिल की सेहत के लिए अच्छे हैं।
  • यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है।
  • सलाद, हल्की सब्ज़ी और ड्रिज़लिंग के लिए सबसे बेहतर।
ध्यान दें: इसे डीप फ्राई में उपयोग न करें।


सरसों का तेल (Mustard Oil – Kachi Ghani)

  • इसमें Omega-3 fatty acids होते हैं, जो दिल और जोड़ों के लिए फायदेमंद हैं।
  • पारंपरिक भारतीय खाना पकाने में सदियों से इस्तेमाल हो रहा है।
  • इसमें मौजूद Erucic acid की वजह से कुछ देशों में इस पर पाबंदी है, लेकिन भारत में संतुलित मात्रा में यह सुरक्षित है।

 मूंगफली का तेल (Groundnut Oil)

  • इसमें Monounsaturated fats पाए जाते हैं।
  • यह हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करता है।
  • स्वादिष्ट और टिकाऊ तेल है।

सूरजमुखी का तेल (Sunflower Oil)

  • इसमें Vitamin E भरपूर होता है।
  • हल्की सब्ज़ी और तड़के के लिए अच्छा है।

तिल का तेल (Sesame Oil)

  • इसमें antioxidants और anti-inflammatory गुण होते हैं।
  • यह हड्डियों और जोड़ों के लिए लाभकारी है।


7. खाना पकाने का सही तरीका (Right Way of Cooking with Oil)

  • कम आँच पर तेल का प्रयोग करें।
  • तेज आँच पर तेल जलकर हाइड्रोकार्बन और फ्री रेडिकल्स बनाता है।
  • तवे/कढ़ाई में ज्यादा तेल डालने की बजाय ब्रश या स्प्रे का इस्तेमाल कर सकते हैं।


8. बाज़ार के स्नैक्स से दूरी (Avoid Packaged and Fried Snacks)

  • बाज़ार के समोसे, पकोड़े, चिप्स, बिस्किट आदि में अक्सर बार-बार इस्तेमाल किया हुआ तेल होता है।
  • इनमें Trans fats और अत्यधिक नमक की मात्रा होती है।
  • यह मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों को बढ़ाता है।


9. संतुलित आहार और एक्टिविटी का महत्व (Balanced Diet and Physical Activity)

  • केवल तेल बदलने से स्वास्थ्य नहीं सुधरेगा।
  • आहार में पर्याप्त फल, सब्ज़ियाँ, दालें और अनाज ज़रूर शामिल करें।
  • अगर शरीर एक्टिव नहीं है, तो संतुलित मात्रा में तेल/घी लेने पर भी वसा जम सकती है।
  • Physical Activity (30–40 मिनट प्रतिदिन वॉक/योग/व्यायाम) बहुत ज़रूरी है।


  • तेल और घी दोनों ज़रूरी हैं, लेकिन सीमित मात्रा में।
  • रोज़ाना 4–5 चम्मच तेल/घी
  • बार-बार तेल गरम करने से बचें
  • डीप फ्राई कम करें
  • अलग-अलग तेल बदलकर इस्तेमाल करें
  • घी को दुश्मन न समझें, बल्कि संतुलित मात्रा में सेवन करें

याद रखें: तेल और घी बीमारी का कारण नहीं, बल्कि हमारी गलत आदतें और जीवनशैली असली वजह होती हैं।


FAQ (Frequently Asked Questions)

Q1: क्या रोज़ाना घी खाना सुरक्षित है?

हाँ, अगर आप 1–2 चम्मच देसी घी प्रतिदिन लेते हैं और साथ ही एक्टिव रहते हैं, तो घी सुरक्षित और फायदेमंद है।


Q2: कौन सा तेल सबसे हेल्दी है?

कोई भी एक तेल सबसे अच्छा नहीं होता। सरसों, मूंगफली, तिल, सूरजमुखी और ऑलिव ऑयल को बदल-बदलकर इस्तेमाल करना सबसे बेहतर है।


Q3: क्या ऑलिव ऑयल में तला हुआ खाना अच्छा होता है?

नहीं, ऑलिव ऑयल हाई टेम्परेचर पर खराब हो जाता है। इसे सलाद, हल्की सब्ज़ी और ड्रिज़लिंग में ही उपयोग करें।


Q4: डीप फ्राई कितना हानिकारक है?

डीप फ्राई करने से भोजन बहुत हाई कैलोरी वाला और हानिकारक हो जाता है। इसमें Trans fat और टॉक्सिन्स बनते हैं जो दिल और पाचन के लिए नुकसानदेह हैं।


Q5: क्या सरसों का तेल सुरक्षित है?

भारत में सरसों का तेल पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता रहा है और यह ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर है। संतुलित मात्रा में इसका सेवन सुरक्षित है।


Q6: क्या घी खाने से मोटापा और दिल की बीमारी होती है?

यह एक मिथक है। घी अगर संतुलित मात्रा (1–2 चम्मच) में लिया जाए और साथ ही शारीरिक गतिविधि भी हो, तो यह सेहत के लिए फायदेमंद है।


Q7: तेल की सही मात्रा कितनी होनी चाहिए?

एक स्वस्थ वयस्क के लिए रोज़ाना 4–5 चम्मच तेल/घी पर्याप्त है।

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